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सोमवार, 6 जनवरी 2025

बजरंग बाण

बजरंग बाण

गाना "जय हनुमान जयति बल-सागर" हनुमान जी की महिमा और उनके अद्भुत बल, शक्ति, और भक्ति का वर्णन करने वाला एक अत्यंत प्रसिद्ध भक्ति गीत है। यह गीत खासतौर पर हनुमान चालीसा और बजरंग बाण के प्रभाव का विस्तार करता है, और हनुमान जी की अनंत शक्तियों और उनकी उपासना से मिलने वाले लाभों का जिक्र करता है। इस गीत में भगवान राम के परम भक्त हनुमान जी की भक्ति, उनके अद्वितीय साहस और बल का गौरवगान किया गया है।

1.      प्रारंभिक श्लोक: गीत की शुरुआत में हनुमान जी की भक्ति और उनके प्रति श्रद्धा का संकेत है। यहाँ पर हनुमान जी की शक्ति का उल्लेख किया जाता है, और कहा जाता है कि जो भी हनुमान जी से प्रार्थना करता है, उनके कार्यों में सफलता मिलती है और वे अच्छे परिणाम प्राप्त करते हैं।

2.      हनुमान जी के अद्वितीय कार्य: 

गाने में हनुमान जी द्वारा किए गए महान कार्यों का विवरण है, जैसे:

o    सुरसा के मुँह में प्रवेश और लंकिनी को हराना।

o    सीता माता की खोज, लंका को जलाना, और अक्षय कुमार का वध करना।

o    हनुमान जी ने राम के आदेश से बाणों से लंका का सफाया किया, जिससे वे राम के दूत के रूप में ख्याति प्राप्त करते हैं।

o    राम के आदेश पर वे दुष्टों और राक्षसों का संहार करते हैं और राम की महिमा का प्रचार करते हैं।

3.      हनुमान जी की विशेषताएँ:

o    हनुमान जी का चित्रण बल, बुद्धि, और श्रद्धा के रूप में किया जाता है। वे भगवान राम के परम भक्त और समर्थ दूत हैं।

o    गीत में हनुमान जी के शक्तिशाली रूप का वर्णन किया गया है, जिसमें उनकी मुँहबोली शक्ति, त्रिशूल, और वज्र जैसे अस्त्रों का उपयोग दिखाया गया है। उनके शक्तिशाली रूप में न केवल उन्हें राक्षसों को नष्ट करने के रूप में देखा जाता है, बल्कि वे भक्तों के दुःख दूर करने और उन्हें सुरक्षा देने वाले देवता के रूप में भी सम्मानित हैं।

4.      बजरंग बाण की महिमा: गाने में बजरंग बाण के जप का महत्त्व भी बताया गया है। कहा गया है कि जो कोई इस बाण का जाप करता है, वह सभी बुराइयों और परेशानियों से मुक्त हो जाता है। इस बाण की पूजा से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति प्राप्त होती है।

o    बजरंग बाण को एक विशेष मंत्र के रूप में प्रस्तुत किया गया है जो किसी भी संकट से निपटने के लिए अचूक है। यह बाण न केवल राक्षसों को नष्ट करता है, बल्कि इसे जाप करने से भूत-प्रेत, पिशाच, और सभी प्रकार के संकट दूर होते हैं।

5.      हनुमान जी की पूजा का लाभ: गाने में यह भी कहा गया है कि जो भक्त हनुमान जी की पूजा और जप करता है, वह बिना किसी भय के जीवन जी सकता है। उनके ध्यान से व्यक्ति का जीवन सुखमय और सफल हो जाता है। हनुमान जी के प्रति अडिग विश्वास और भक्ति से सभी प्रकार की बाधाएँ दूर होती हैं और मनचाही सफलता मिलती है।

6.      शिव-पार्वती और हनुमान जी का संबंध: गाने में हनुमान जी के साथ भगवान शिव और माता पार्वती का भी संबंध व्यक्त किया गया है। हनुमान जी को भगवान शिव का अवतार माना जाता है, और उनकी उपासना से भक्तों को शिव की कृपा भी प्राप्त होती है।

यह गाना हनुमान जी की शक्ति, साहस, भक्ति, और उनके अद्भुत कार्यों का गौरवगान करता है। बजरंग बाण का जप करने से प्राप्त होने वाली सुरक्षा और भक्ति की महिमा को भी बताया गया है। यह गीत भक्तों को प्रोत्साहित करता है कि वे हनुमान जी की उपासना करें, ताकि वे जीवन के सभी कष्टों से मुक्त हो सकें और भगवान राम की तरह अपने जीवन में विजय प्राप्त कर सकें। हनुमान जी का नाम लेकर सभी प्रकार की बाधाएँ दूर होती हैं और भक्तों को जीवन में सुख, समृद्धि, और शांति प्राप्त होती है।

निश्चय प्रेम प्रतीति ते, बिनय करैं सनमान
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान

जय हनुमंत संत हितकार, सुन लीजै प्रभु अरज हमारी
जन के काज बिलंब न कीजै, आतुर दौरि महा सुख दीजै

जैसे कूदि सिंधु महिपारा, सुरसा बदन पैठि बिस्तारा
आगे जाय लंकिनी रोका, मारेहु लात गई सुरलोका
जाय बिभीषन को सुख दीन्हा, सीता निरखि परमपद लीन्हा
बाग उजारि सिंधु महँ बोरा, अति आतुर जमकातर तोरा

अक्षय कुमार मारि संहारा, लूम लपेटि लंक को जारा
लाह समान लंक जरि गई, जय-जय धुनि सुरपुर नभ भई
अब बिलंब केहि कारन स्वामी, कृपा करहु उर अंतरयामी
जय-जय लखन प्रान के दाता, आतुर ह्वै दुख करहु निपाता

जय हनुमान जयति बल-सागर, सुर-समूह-समरथ भट-नागर
ॐ हनु-हनु-हनु हनुमंत हठीले, बैरिहि मारु बज्र की कीले
ॐ ह्नीं ह्नीं ह्नीं हनुमंत कपीसा, ॐ हुं हुं हुं हनु अरि उर सीसा
जय अंजनि कुमार बलवंता, शंकरसुवन बीर हनुमंता

बदन कराल काल-कुल-घालक, राम सहाय सदा प्रतिपालक
भूत, प्रेत, पिसाच निसाच, र अगिन बेताल काल मारी मर
इन्हें मारु, तोहि सपथ राम की, राखु नाथ मरजाद नाम की
सत्य होहु हरि सपथ पाइ कै, राम दूत धरु मारु धाइ कै

जय-जय-जय हनुमंत अगाधा, दुख पावत जन केहि अपराधा
पूजा जप तप नेम अचारा, नहिं जानत कछु दास तुम्हारा
बन उपबन मग गिरि गृह माहीं, तुम्हरे बल हौं डरपत नाहीं
जनकसुता हरि दास कहावौ, ताकी सपथ बिलंब न लावौ

जै जै जै धुनि होत अकासा, सुमिरत होय दुसह दुख नासा
चरन पकरि, कर जोरि मनावौं, यहि औसर अब केहि गोहरावौं
उठु, उठु, चलु, तोहि राम दुहाई, पायँ परौं, कर जोरि मनाई
ॐ चं चं चं चं चपल चलंता, ॐ हनु हनु हनु हनु हनुमंता

ॐ हं हं हाँक देत कपि चंचल, ॐ सं सं सहमि पराने खल-दल
अपने जन को तुरत उबारौ, सुमिरत होय आनंद हमारौ
यह बजरंग-बाण जेहि मारै, ताहि कहौ फिरि कवन उबारै
पाठ करै बजरंग-बाण की, हनुमत रक्षा करै प्रान की

यह बजरंग बाण जो जापैं, तासों भूत-प्रेत सब कापैं
धूप देय जो जपै हमेसा, ताके तन नहिं रहै कलेसा
...ताके तन नहिं रहै कलेसा

उर प्रतीति दृढ़, सरन ह्वै, पाठ करै धरि ध्यान
बाधा सब हर, करैं सब काम सफल हनुमान

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